
Crypto Currency: क्रिप्टोकरंसी को लेकर आपके बहुत सारे सवाल हो सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसीज क्या है, इसकी जरूरत क्या है और आने वाले समय में क्रिप्टोकरंसी के प्राइस ऊपर जाएंगे या नीचे जाएंगे। क्या गवर्नमेंट बैन तो नहीं कर देगी इन Cryptocurrencies को। इन सबको समझने के लिए पहले आपको इन 5 चीजों को समझने की जरूरत है तब जाके आपको क्रिप्टोकरंसी का पूरा गेम समझ में आएगा और उन 5 कांसेप्ट को समझने के लिए आपको पांच अलग-अलग वीडियो देखने की जरूरत नहीं है। सिर्फ इसी आर्टिकल के अंदर आपको ये 5 कॉन्सेप्ट समझ आने वाले है। तो चलिए दोस्तों शुरू करते है पहले कान्सेप्ट से जो की नीचे दिया गया है।
1. Money vs Currency
अभी तक आपकी जेब में जो नोट है उसे आप Money मान रहे थे। चलो मान लेते है की आपकी जेब में ₹2000 का नोट है। उसे आप अभी तक Money समझ रहे थे लेकिन मान लेते हैं कि अगर आज गवर्नमेंट ने अनाउंस कर दिया कि आज के बाद ₹2000 का नोट नहीं चलेगा तो आपकी जेब में जो पैसा है। उसकी वैल्यू हो जाएगी Zero लेकिन Money के अंदर Diffrence होता है क्योंकि उसकी वैल्यू Zero नहीं हो सकती। क्यों नहीं हो सकती क्योंकि Money के पास अपनी वैल्यू स्टोरड होती है। For Example:- आपके घर में गोल्ड कॉइन है और उस गोल्ड कॉइन की एक कीमत भी आप उसे एक्सचेंज कर सकते हो Currency के जरिए लेकिन आपको पता है उसके अंदर एक वैल्यू है गवर्नमेंट उसे बैन नहीं कर सकती और पूरे वर्ल्ड में वो चलेगा।
Currency हो सकता है किसी कंट्री की किसी कंट्री में ना चले तो आपको पहले उसे USD में कन्वर्ट करवाना पड़े। फिर लेना पड़े तो बहुत सारे झंझट है। लेकिन गोल्ड जैसी चीज है सिल्वर जैसी चीज या जिनके अंदर वैल्यू है। वो हर जगह चलती है और इसीलिए आपको समझना पड़ेगा कि Currency में और Money में डिफरेंस होता है क्योंकि Currency को मैनूपुलेट किया जा सकता है। उसे गवर्नमेंट रेगुलेट करती है लेकिन उसे मैनूपुलेट भी करती है। अभी मैं आपको बताऊंगा कि कैसे और क्यों? लेकिन Currency जितनी चाहे उतनी छापी जा सकती है और जो Money है, वो जितनी इच्छा है उतनी। क्योंकि अपनी मर्जी से कोई गोल्ड कॉइन अपने घर में बैठकर नहीं छाप सकता। घर में बैठकर तो Currency भी नहीं छाप सकते। लेकिन कहने का मतलब है कि गवर्नमेंट Currency जितनी चाहे अपनी मर्जी से उतनी प्रिंट कर लें। लेकिन गोल्ड कॉइन कहां से लाएगी। उसके लिए माइनिंग करनी पड़ेगी और उसके Resourses लिमिटेड होते हैं और अगर आपको यह कॉन्सेप्ट समझ आ गया तो अब हम बढ़ते हैं दूसरे कंसेप्ट की तरफ।
2. Centralised vs Decentralized
तो जो हमारा दूसरा कांसेप्ट है वो सेंट्रलाइज्ड vs डिसेंट्रलाइज्ड है। Currency सेंट्रलाइज भी हो सकती है और डिसेंट्रलाइज्ड भी हो सकती है। तो चलिए अब इसे समझते है। आप जो रुपए इस्तेमाल करते हैं वो हमारी गवर्नमेंट कंट्रोल करती है। वो जितने चाहे उतने छाप सकती है और जिससे आ जाता है इन्फ्लेशन यानी महंगाई। महंगाई बढ़ने का जो सबसे बड़ा कारण है। वो यही है कि गवर्नमेंट जितने चाहे उतने नोट प्रिंट कर सकती है और ये गवर्नमेंट के हाथ में सेंट्रलाइज्ड हैं। लेकिन डिसेंट्रलाइज्ड का मतलब होता है कि गवर्नमेंट उसे कंट्रोल नहीं करती। For Example:- Bitcoin, तो बिटकॉइन को कोई भी गवर्नमेंट कंट्रोल नहीं कर रही और जितने चाहे उतने बिटकॉइन नहीं छाप सकते, नहीं बन सकते। उसकी एक लिमिटेड रिसोर्स है एक लिमिटेड सप्लाई है, तो क्योंकि लिमिटेड सप्लाई है तो उसके अंदर भी एक वैल्यू स्टोर होती है। जिसे लोग कहते हैं क्योंकि वैल्यू स्टोर्ड है और वह लिमिटेड है तो इसे लोग Gold की तरह समझते है।
गोल्ड भी लिमिटेड है और बिटकॉइन भी लिमिटेड है तो आने वाले समय में लोग कहते हैं कि बिटकॉइन के पैसे बढ़ेंगे। क्योंकि कोई गवर्नमेंट उसे मैनूपुलेट नहीं कर रही, कोई उसमें रेगुलेशंस नहीं है तो यहां पर फर्क है। मैं आपको बहुत बड़ा फर्क बताता हूं। चीन ने एक बार अपनी Currency को ही गिरा दिया। एक बार क्या हुआ कि चीन ने अपनी Currency को गिरा दिया तो आपको लग रहा होगा उनकी कंट्री की Currency गिरने से उनको यानी चीन को बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा होगा। लेकिन जो Currency होती है वो आपस में बहुत ज्यादा इंटरकनेक्टेड होती हैं तो उन्होंने गिराया अपनी Currency को और प्रभाव पड़ गया अमेरिका के ऊपर। अमेरिका की स्टॉक मार्केट पर इफैक्ट पड़ गया। तो क्योंकि अब गवर्नमेंट अगर अपनी Currency को मैनूपुलेट कर देती है तो पूरे वर्ल्ड को उससे खतरा है। इसीलिए कहते है Necessity is The Mother of Invention यानी आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
डिसेंट्रलाइज्ड Currency का जन्म हुआ जिसे हम क्रिप्टोकरंसी बोलते हैं। अब आप कहोगे कि क्रिप्टोकरंसी के अंदर बहुत सारी छोटी Currencies है। जिन्हें लोग रेगुलेट कर सकते। For Example:- Doge Coin अब अगर छोटा कॉइन है तो वैसे अब डॉज कॉइन भी छोटा नहीं रहा। कोई बड़ा प्लेयर आ जाए बिग बुल आ जाए तो उसके अंदर क्या कर सकता है। जेसै एलॉन मास्क ने क्या किया जब चाहे गिरा दिया जब चाहे बढ़ा दिया। क्योंकि मार्केट का साइज अभी बहुत छोटा है जब यह मार्केट का साइज बढ़ेगा। For Example:- आज के स्टॉक मार्केट का साइज बहुत बड़ा है। क्रिप्टोकरंसी मार्केट के सामने। तो कोई अगर आकर मान लो 1000 करोड़ या 10,000 करोड़ भी डालेगा तो पूरी मार्केट को मैनूपुलेट नहीं कर सकता। हां एक स्टॉक को तो यहां पर भी मैनुपुलेशन हो सकता है। तो हम उम्मीद करते हैं कि आपको सेकंड कंसेप्ट भी समझ आ गया होगा कि सेंट्रलाइज्ड vs डीसेंट्रलाइज्ड में क्या फर्क है?
3. Fiat Currency – Not Backed by Assets
अब तीसरा कांसेप्ट है Fiat Currency अब Fiat का मतलब क्या है? अब लोग कहते हैं Fiat मतलब फेक और जो हम रुपए इस्तेमाल कर रहे हैं, जो डॉलर इस्तेमाल कर रहे हैं, जो यूरो इस्तेमाल करते हैं, जो येन इस्तेमाल करते हैं। ये सब कुछ Fiat Currency के अंदर ही आता है। अब आप कहोगे कि क्यों आता है? आज से कुछ साल पहले कोई भी कंट्री उतना ही प्रिंट कर सकती थी जितना उसके पास रिजर्व में गोल्ड या Assets है। अब आजकल जो देश नोट प्रिंट कर रही है उसके पीछे कोई भी Assets नहीं है। There are No Backed by any Assets जितने चाहो उतने प्रिंट कर लो। तो आप अच्छी तरह से जानते हैं जिंबॉब्वे के साथ क्या हुआ और ऐसे बहुत सारे देश हैं।
जिन्होंने अपनी ही देश की इकोनमी डूबा दी नोट प्रिंट करते हुए तो क्योंकि यह गवर्नमेंट के हाथ में है। Fiat Currency के बारे में सोचते हैं कि यह फेक करेंसी है It is Not Backed by any Gold, It is not Backed by any Assets तो मेरा यह मानना है कि यह क्रिप्टोकरंसी के बारे में नहीं है। ये कहता है कि जो आपके पास जो पैसा आता है उसे आप Assets में कन्वर्ट कर लो चाहे उसे गोल्ड में कर लो, चाहे सिल्वर में कर लो। चाहे आपके पास ज्यादा पैसे आ जाएं तो आप एक जमीन ले लो। उससे फायदा क्या होगा आपका कि आपका पैसे की वैल्यू डिप्रेशन नहीं होगी इन्फ्लेशन से भी बचोगे और भगवान ना करें कि जैसा और देश के साथ हुआ हमारे भारत के साथ हो। लेकिन हां बहुत ज्यादा नोट प्रिंट किए जा रहे हैं। तो बहुत ज्यादा पैसा गवर्नमेंट प्रिंट करती जा रही है।

4. Digital vs Physical Currency
यहां पर फोर्थ कांसेप्ट को समझते हैं जो है Digital vs Physical Currency आज से कुछ साल पहले लोगों को पेटीएम पर भरोसा नहीं था। लोगों को लगता था कि इसके अंदर पैसे डाल रहे हैं कहीं पेटीएम भाग गई तो? क्योंकि ये डिजिटल है और लोगों को लगता था कि डिजिटल सिर्फ बैंक में हो सकता है वह भी हमारी स्टेटमेंट में, हमारे खाते में लिखा हुआ दिखेगा तो हम मानेंगे कि पैसे हमारे अकाउंट में है। वरना लोगों को भरोसा है सिऊ फिजिकल करंसी पर। अब मैं आपको एक बहुत अच्छी घटना बताता हूं।
एक आदमी ने बहुत सालों तक अपने ऑपरेशन के लिए, अपने इलाज के लिए पैसे जोड़े और उसने जोड़कर कहां रखें, अपने घर की अलमारी में। लेकिन उस आदमी को नहीं पता था कि उस अलमारी में चूहा घुस सकता है और उस अलमारी में चुहा घुस गया और उसके पैसे कुतर गया। अब आप सोचिए कि उस आदमी के ऊपर क्या बीत रही होगी। अब फिजिकल करंसी का होना मतलब आपके हाथ में पैसे दिखते हैं कि 50,000 की गड्डी मेरे हाथ में है। लेकिन उन 50,000 रूपये को कोई भी छीन सकता है या चोरी कर सकता है, कुछ भी हो सकता है। लेकिन आजकल लोग मानते हैं कि डिजिटल पैसा सुरक्षित रहता है। पहले लोगों को डिजिटल पर भरोसा नहीं था। लेकिन कप्टोकरेंसीज पूरी तरह से डिजिटल करेंसी मानी जाती है। लेकिन ये आपके हाथ में नहीं है, बिटकॉइन आपने बहुत बार देखा होगा। लेकिन वह आपके हाथ में कभी नहीं आएगा क्योंकि वह डिजिटल करेंसी है।
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5. Blockchain
अब फाइनली हम बात करेंगे हमारे पांचवें कॉन्सेप्ट जो की क्रिप्टोकरेंसीज का आधार है। काफी लोग कहते हैं कि हमें क्रिप्टोकरेंसीज पर उतना विश्वासनही है जितना की ब्लॉकचैन पर है। लोगों को ब्लाॅकचैन टेकनोलॉजी में बहुत ज्यादा भरोसा है और बिल्कुल यही स्टेटमेंट आरबीआई गवर्नर ने दी है कि क्रिप्टोकरेंसीज के पीछे टेक्नोलॉजी है जो कि हमें भी अपनानी करनी चाहिए जो कि इस ब्लाकचैन टेक्नोलॉजी है।
अब ये ब्लाॅकचैन टेक्नोलॉजी क्या है? देखो सिंपल सी चीज है Ledger का मतलब है – खाता मेंटेन करना। कोई भी लेनदेन होता है उसे हम मेंटेन करते हैं। अब जो भी आपकी Transactions है वो आपका बैंक मैंटेन कर रहा है तो सारे रिकॉर्ड बैंक के पास है। लेकिन आपने हर्षद मेहता वाली मूवी देखी होगी और आपको पता लगा अगर बैंक के अंदर एसबीआई का आपने केस देखा था। अगर Ledger से एंट्री हट गई तो फिर उसके लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। कितनी इन्वेस्टिगेशन करनी पड़ेगी। बाद में जाकर पता लगेगा जब कोई फ्रॉड हुआ तो और बैंक्स के अंदर आपने देखा कि कई बैंक के साथ ऐसा हो चुका है।
ब्लाॅकचैन टेक्नोलॉजी क्या कहती है कि सर आप कोई भी एंट्री मिटा नहीं सकते। यहां पर लोगों के अपने कंप्यूटर हैं। अब यहां पर माइनर्स भी होते हैं, मीनिंग मशीनें भी होती है। उसके ऊपर हम पहले ही बात कर चुके हैं। पर फिर भी मैं आपको बता रहा हूं। अब यहां पर जब भी कोई ट्रांजैक्शन होती है। यहां पर हर स्टेज पर जाकर वह ट्रांजैक्शन वेरीफाई हो रही है और अगर बीच में कहीं पर भी कोई ग़लती दिख गई तो वो आगे वेरिफिकेशन हो हीं नहीं तो क्योंकि आपका जो लेजर है खाता है वो बहुत सारे स्टेप्स में मैंटेंड है तो ब्लाॅकचैन टेक्नोलॉजी का फायदा क्या है कि जो लेजर है। उसे कोई भी मेनूप्लेट नहीं कर सकता। फिगर्स को कोई मेनूप्लेट नहीं कर सकता। हर ट्रांजैक्शन रिकार्ड की जाती है और ये टेक्नोलॉजी के ऊपर अभी बहुत रिसर्च चल रही है।
क्योंकि मार्केट का साइज भी बहुत छोटा है तो कुछ प्लेयर ऐसे हैं जो बहुत ज्यादा दाम को बढ़ा देते हैं या गिरा देते हैं तो अभी यहां पर बहुत कुछ चल रहा है और ऐसा लोगों ने आमतौर पर देखा भी है कि जब भी कोई नई टेक्नोलॉजी आती है तो उसके अंदर ऐसा होता। जब इंटरनेट आया था तो क्या हुआ था? आज इंटरनेट को हर आदमी इस्तेमाल कर रहा है तो कोई टेक्नोलॉजी जब नई होती है तो उसके यूजर्स भी लिमिटेड होते हैं और उस टेक्नोलॉजी पर भरोसा करने में भी समय लगता है तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि हमने आपको जो भी जानकारी दी है क्रिप्टोकरंसी के बारे में वो आपको समझ में आ गई होगी।

मेरा नाम प्रवीन इन्सां है। मैं एक हिन्दी Content Writer हूँ। इस वेबसाइट पर मैं योजना और सरकारी नौकरी से जुड़े आर्टिकल लिखता हूँ और मैं इस वेबसाइट का लेखक हूँ।